रिपोर्टर-ओमकारनाथ
वाराणसी। रंगभरी एकादशी को देवों के देव महादेव की नगरी काशी में रंगोत्सव की शुरूआत हो चुकी है। काशी की अनूठी, अद्भुत और विश्वविख्यात श्मशान की चिता-भस्म की होली का शुकवार को आगाज हो गया। इसके बाद मुख्य चिता भस्म की होली मणिकर्णिका घाट पर होगी।
काशी में बाबा के माता गौरा की विदाई कराकर ले जाने से पहले ही काशीवासी उत्सवी माहौल में रंगने लगे हैं। Harishchandra Ghat पर मनाई जानेवाली चिता भष्म की होली को कोई जोड़ नही है। यह शोभायात्रा या होली बारात रवींद्रपुरी कालोनी स्थित अघोराचार्य बाबा कीनाराम आश्रम से दोपहर धूमधाम के साथ निकली। शोभायात्रा में देव, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, भूत-पिशाच समेत भोले के गण, युवक व युवतियों शामिल होकर झूमते, नाचते हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचे। शोभायात्रा को देखने के लिए सड़कों के दोनों ओर भारी भीड़ जुटी रही। देश-विदेशों से लोक इस अलौकिक झांकी को देखने पहुंचे थे। डीजे पर खेले मसाने में होली की धुन पर थिरते हुए श्मशान की ओर बढ़े जा रहे थे।
आध्यात्म की गहराईयों से जुड़ी काशी की इस अद्भुत चिता भस्म की होली को लोग अपने कैमरों में कैद कर रहे थे। इसके साथ ही खबरें और तस्वीरे सोशल मीडिया में वायरल हो रही थीं। कोई नरमुंड तो कोई भूत-पिशाचों का मुखौटा लगाये बारात में शामिल था। हरिश्चंद्र घाट पर एक ओर चिताएं जल रही होंगी। गम में डूबे परिजन अपनों की चिता का अंतिम संस्कार कर रहे थे और दूसरी ओर उन्हीं चिताओं की भस्म लपेटकर भक्त होली खेल रहे थे।
एक तरफ मातम और दूसरी ओर ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूमते नाचते लोगों की मस्ती आकर्षण का केंद्र रही। यता तो यही है कि इस आलौकिक चिता भस्म की होली को देखने स्वर्ग से देवता भी आते हैं। इसी को संदर्भित करते हुए काशी के पद्मविभूषण और प्रख्यात शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र के गीत दुनिया में आज भी गूंजते हैं ‘खेले मसाने में होली दिगम्बर, खेले मसाने में होली। भूत पिशच बटोरी दिगम्बर खेले मसाने में होली।